1 कड़वाहट तो दिल में बसे ,और रसना पर मिठास
कहे हित, ऐसे इंसान का मत करियो बिस्वास
2 गलत राह पर जो ले चले, ऐसे मिले कई इंसान
कहे हित, ऐसे दोस्त और दुश्मन, होते एक समान
3 दूसरे की ख़ुशी में खुश रहे, मिला न कोई एक
मौके की तलाश वाले, मिले भीड़ में अनेक
4 प्रिय और प्रियतमा का पयार भी, अब बीते दिनों की बात
पैसे के तराज़ू पर अब, तोले जाते हैं जज़्बात
5 विष तो सब में भरा, दिए अमृत न दिखाई
कहे हित, कलयुग में कहाँ मिले, राम भरत से भाई
6 मीठा मीठा बोल कर, जो अपना काम निकलवाए
दुनियादारी में वो ही, महापंडित कहलवाये
हितेश कुमार शर्मा
Read Complete Poem/Kavya Here हित वाणी -3
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