आज किसी के भी अल्फाजो मे , वो ताकत नही ? जो ताज की खूबसूरती पे चढ , चीख-चीख के कह सके , की मै भी ! हा मै भी , अपनी प्रिये , अपनी बेगम के मकबरे को तजमहल से भी सुन्दर बनबाऊगा !!
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