।।गजल।।आदत न होती थी ।।
वजह कुछ भी रही हो पर कोई आहट न होती थी ।।
कोई गम भी नही था तब कही हुज्जत न होती थी ।।
न मंजिल थी न वादा था न तेरी रहनुमाई थी ।।
अकेला था अकेले में कोई दिक्कत न होती थी ।।
मिले हो तुम हमे जब से नजारे खुद अचंभित है ।।
किसी को देखते रहना मेरी आदत न होती थी ।।
मग़र हैरान हूँ कल से तुम्हारी इक झलक पाकर ।।
किसी के पास आने की कभी हसरत न होती थी ।।
करूगा मैं इशारा तो न तुम मौन हो जाना ।।
किसी के दिल दुखाने की कभी चाहत न होती थी ।।
………R.K.M
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