भीर मे खड़ा अकेला,
मैं बेच रहा था केला I
पुलिस ने आके मारा डंडा,
कहा- यहा से उठाओ अपना ठेला I
मैं हूँ आम आदमी,
कहाँ करता झमेला?
होता अगर गुंडा-मवाली,
तो दिखाता अपना रेला I
भाई ! ये दुनिया भी अजीब है,
अजीब है, यहा का मेला I
हमारी झोली खाली यहाँ,
और बदमासो का- भरा थैला I
गर, बेचने जाओ यहाँ केला ,
तो मिलता नही अधेला I
और, बेचो अपनी ज़मीर,
तो बनोगे तुम अमीर I
-पार्थ
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