रविवार, 2 अगस्त 2015

केला-वाला

भीर मे खड़ा अकेला,
मैं बेच रहा था केला I
पुलिस ने आके मारा डंडा,

कहा- यहा से उठाओ अपना ठेला I

मैं हूँ आम आदमी,
कहाँ करता झमेला?
होता अगर गुंडा-मवाली,
तो दिखाता अपना रेला I

भाई ! ये दुनिया भी अजीब है,
अजीब है, यहा का मेला I
हमारी झोली खाली यहाँ,
और बदमासो का- भरा थैला I

गर, बेचने जाओ यहाँ केला ,
तो मिलता नही अधेला I
और, बेचो अपनी ज़मीर,
तो बनोगे तुम अमीर I

-पार्थ

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