रविवार, 2 अगस्त 2015

ख्य़ाल तो हर किसी के दिल मे होते हैं, पर उन्हें अलफाज ही मुअस्सर नही होते। वो लोग खाक अंधेरा मिटाय़ेंगे, जिन्हें चिराग ही मुअस्सर नही होते।। क्वाहिस होती है जिन्हें कुछ कर गुजरने की, उन्हें तख्तोताज ही मुअस्सर नही होते। जिन्हें तख्तोताज हासिल होते हैं, उन्हें ऐसे जज्बात ही मुअस्सर नही होते।। ख्य़ाल तो हर किसी के दिल मे होते हैं, पर उन्हें अलफाज ही मुअस्सर नही होते।

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Read Complete Poem/Kavya Here ख्य़ाल तो हर किसी के दिल मे होते हैं, पर उन्हें अलफाज ही मुअस्सर नही होते। वो लोग खाक अंधेरा मिटाय़ेंगे, जिन्हें चिराग ही मुअस्सर नही होते।। क्वाहिस होती है जिन्हें कुछ कर गुजरने की, उन्हें तख्तोताज ही मुअस्सर नही होते। जिन्हें तख्तोताज हासिल होते हैं, उन्हें ऐसे जज्बात ही मुअस्सर नही होते।। ख्य़ाल तो हर किसी के दिल मे होते हैं, पर उन्हें अलफाज ही मुअस्सर नही होते।

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