मेरा “वज़ूद” यही के बस इक अल्फ़ाज़ हूँ मैं..! सेहरे का गुमनाम सा इक राज़ हूँ मैं………..!! तुँ ना तमन्ना कर मेरे दीदार की ए-ज़िंदगी…! अब तो बस तन्हाइयों का एहतियाज़ हूँ मैं…!!
Acct- इंदर भोले नाथ…
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