जुदा हुए भी कुछ इस क़दर, तुझसे “ऐ-ज़िंदगी”, तूँ नहीं, पर तेरा ज़िक्र मेरी हर अल्फ़ाज़ मे है…
———————————- Acct- इंदर भोले नाथ…
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें