हर तरफ है, मचा कोहराम,
है बिखरा, टुकड़ों मे आवाम,
है कहीं,नेताओं की मनमानी,
सत्ता को समझे पुस्तानी…
जिसे चुना, खुद को बचाने को,
है वो तैयार, हमें मिटाने को…
लड़ता रहा,जो सत्य के लिए,
उसका कोई ज़िक्र नहीं…
खुदा ढूंढते पत्थरों मे,
इंसानों का कोई फ़िक्र नहीं…
जहाँ हर साल गोदामों मे,
अनाज यूँही सड़ जाते हैं…
वहीं आज भी कई किसान,
किसी दिन भूखा सो जाते हैं…
है आज भी जहाँ ग़रीबी,
गुलाम अमीरों के…
फिर भी हर साल हम,
गणतंत्र दिवस मनाते हैं…
जहाँ अँग्रेज़ी हुई फैसन,
मिटा हिन्दी का नामों-निशान है…
उस देश के हम वासी हैं,
जिसका नाम हिन्दुस्तान है…
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Acct-इंदर भोले नाथ…
२६/०१/२०१६
आप सभी को हमारी तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जय हिंद……….जय हिंद की सेना,
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