तूं नारी है तेरी जय हो
तुम सुरों की बहती लय हो
तुम से ही जीवन सुखमय हो
तेरी शक्ति से दानव को भय हो
ये तुच्छ नर तेरा दास है
तूं है तो इसका वास है
तेरी देह से इसका मांस है
हर मुश्किल मे तूं आस है
हर रूप तेरा है प्यार भरा
तूनें बंजर को कर दिया हरा
तुझ पर ही नर की टिकी धरा
इस मूल का रिश्ता है गहरा
( रै कबीर )
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