शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

हैं वो ना-समझ...

हैं वो ना-समझ “भगवन”,जो तुझे पैसों से रिझावे हैं,
दुवा करोड़ों की माँगे, चन्द सिक्के चढ़ावे हैं…
जिसे ज़रूरत है रोटी की,उसे पानी न पिलावे हैं,
जो बना है पत्थरों का, उसे मेवा खिलावे हैं…

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Acct- इंदर भोले नाथ…

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