हैं वो ना-समझ “भगवन”,जो तुझे पैसों से रिझावे हैं, दुवा करोड़ों की माँगे, चन्द सिक्के चढ़ावे हैं… जिसे ज़रूरत है रोटी की,उसे पानी न पिलावे हैं, जो बना है पत्थरों का, उसे मेवा खिलावे हैं…
—————————————————————— Acct- इंदर भोले नाथ…
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