मेरी डायरी के पन्ने- भाग -५ लेखक – मीरा देवी
नारी प्रेम का मंदिर है, आदमी प्रेम पुजारी है
ये बात है बरसो पहले की, अब तो सोच ही अजब- न्यारी है
नारी गर बीमार हो, तो मर्द पर वो भारी है
जब उसके सुख भोग का साधन बने, तब कहता है के नारी है
हाय रे! समाज का दुर्भाग्य, बड़ी दुखद: बेबसी और लाचारी है
अब नारी प्यार का मंदिर है, पर आदमी हवस का पुजारी है
इस कोने से उस कोने तक, आग लगी संसार मे
आबरू एक नारी की, बिक रही सरे बाजार मे
हवस को प्रेम समझती है, तभी तो आज भी जग से हारी है
प्रेम नहीं इस जग मे अब, जानती ये दुनिया सारी है
अब नारी प्रेम का मंदिर है, पर आदमी हवस का पुजारी है……
शुक्रवार, 29 जनवरी 2016
मेरी डायरी के पन्ने- भाग -५ लेखक - मीरा देवी
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