तू क्या जाने है मेरी शोहरत ऐ नादां कुएं से बाहर निकल और महफिल – ए – आम में शिरकत तो कर ।। ( रै कबीर )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें