वो सनम बता दो क्यों खफ़ा हो मुझसे
मेरी जान जा रही है मिलने आजा मुझसे
तुझे चाहेंगे हद से ज्यादा रब की है कसम
तेरी पूजा करेंगे सुबह-शाम खुदा बनाके हम
तुमबिन कहीं अब तो लगता नहीं मेरा मन
तेरे नाम सुनके धड़कती है अब धड़कन
वो सनम बता दो क्यों खफ़ा हो मुझसे
मेरी जान जा रही है मिलने आजा मुझसे
बात करने से ही बात बनती है
अब माँफ़ कर भी दो जो गलती है
प्रेम सुधा पिला के भूल तुम गई हो
आती नहीं नज़र अब कहाँ छूप गई हो
वो सनम बता दो क्यों खफ़ा हो मुझसे
मेरी जान जा रही है मिलने आजा मुझसे
तुम एक नदी हो मैं प्यासा सागर हूँ
तुम किनारा हो मैं एक कश्ती हूँ
वो बेखबर तेरी हर खबर रखता हूँ
तुझे याद कर प्रेम ग़ज़ल लिखता हूँ
वो सनम बता दो क्यों खफ़ा हो मुझसे
मेरी जान जा रही है मिलने आजा मुझसे
आ ज़िंदगी महका दे तू फूल बनके
पूनम रात है आज निकल चांद बनके
इतनी नफ़रत क्यों करती हो मुझसे
बिछड़ के न जी सकेंगे अब तुझसे
वो सनम बता दो क्यों खफ़ा हो मुझसे
मेरी जान जा रही है मिलने आजा मुझसे
Dushyant kumar patel
Read Complete Poem/Kavya Here वो सनम //गीत//
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