जरुरी है जिन्दगी मे जख्मो क मिलना,
जरुरी है युं चलते चलते गिरना,
जिन्द्गी के रस्तो में ये भी जरुरी है..
जिन्दगी को समझने के लिये जरुरी है,
इससे रु-ब-रु होना.
पर जब जख्म का मिलना जारी हो,
और वक्त करवट ना ले तब??
जरुरी है थोडा प्यासा होना,
जरुरी है बुन्द की कीमत को समझना,
चाहे पानी की हो या जिन्दगी की कहानी की,
पर जब बुन्द की आस में घडी का गिनना,
और वह वक्त ना आये तब??
युं ही चोट लगती ही जाये तब?
युं गिर गिर कर उठ ना पाये तब?
थोडी कमी की कीमत बहुत होती है जिन्दगी में,
पर जब कमी भर ना पाएं तब??
जरुरी है थोडा जिन्दगी मे गम्भीर होना,
जिन्दगी को गम्भीरता से लेना,
पर जब जिन्दगी ही गम्भीर हो कर,
बोझ बन जाएं तब??
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