hindi sahitya
रविवार, 31 जनवरी 2016
एक घर ऐसा ढूंढ रहा हूँ......(रै कबीर)
एक घर ऐसा ढूंढ रहा हूं
जहाँ चारदिवारी
शोहरत की ना हो
जहाँ दरवाजा
नफरत का ना हो ।।
(रै कबीर)
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एक घर ऐसा ढूंढ रहा हूँ......(रै कबीर)
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