शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

धर्म निरपेक्ष (व्यंग)

मेरा कोई धर्म नहीं
मेरा कोई कर्म नहीं
भ्रष्टाचार फैलता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

मेरा कोई जोड़ नहीं
मेरा कोई तोड़ नहीं
साठ-गाठ बैठता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

मेरा कोई एक रूप नहीं
मेरा कोई एक रंग नहीं
समया अनुसार भेष बनता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

विकाश से मेरा नाता नहीं
शान्ति फैलाना हमें आता नहीं
दंगा फसाद करता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

सत्ता से दूर रह सकता नहीं
कुछ अच्छा कर सकता नहीं
हर कार्य में जुगाड़ लगता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

सच बोलने हमें आता नहीं
झूठ बोलने में मेरा कुछ जाता नहीं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई को आपस में लड़ता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

मैं धर्म निरपेक्ष नहीं
मैं कर्म निरपेक्ष हूँ
साम्प्रदाइकता के गर्म तावा पर
अपनी स्वार्थ की रोटी पकता हूँ
धर्म निरपेक्ष कहलाता हूँ।

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