१ दो पल की खबर नहीं, कब ज़िंदगी वेबफाई कर जाये
सफर हैं नेकी का तो , मौत भी मेहबूबा बन जाये
२ रसना तो रस की प्यासी, रहे नीम से दूर
नीम वैद ऐसा , ज्यों हीरों में कोहिनूर
३ कर्म तो करना पड़े, सुख हो या दुःख
मानस जनम मिला तो, न हो खुदा से विमुख
४ सपना तो सपना है, तू हक़ीक़त को पहचान
ये दुनिया तेरा घर नहीं, तू यहाँ मेहमान
५ नेकदिल की कमी यहाँ , मिले ढोंगी भरपूर
पूजे जाते जहाँ बेईमान, ये है कलयुग का दस्तूर
हितेश कुमार शर्मा
Read Complete Poem/Kavya Here हित वाणी -1
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