गुरुवार, 9 जुलाई 2015

वृद्धवस्था

पूरी जिंदगी मेंहनत करता आया l
खूब नाम और पैसा कमाया ll
आज सब कुछ है मेरे पासl
फिर भी मन है बहुत उदासll

जिस पैसे के पीछे मै दौड़ता रहाl
आज उसे पाकर भी मै अकेला रहा ll
अपनों ने तब तक साथ निभाया l
जब तक ये पैसा उनके हाथ न आया ll

पहले जो ………………………………
मेरी एक आवाज़ पर दौड़े चले आते थेl
मेरे लड़खड़ाने पर मेरा सहारा बन जाते थे ll
आज बुलाने पर, मुझे अनसुना कर जाते है l
मुझे गिरते देखकर भी मुझे नहीं उठाते है ll

मन वृद्ध हो चुका हूँ, किन्तु बेकार नहीं l
अपना पेट भर सकता हूँ , लाचार नहीं ll
मुझे पैसा नहीं अपनों का प्यार चाहिए l
जीने के लिए बस यही एक एहसास चाहिए ll

ईश्वर ! समय का पहिया फिर घुमायेगाl
आज मेरा ,कल तुम्हारा नंबर आएगा l
यदि आज तुम अपने बड़ो का सम्मान करोंगेl
तभी तुम्हारा बच्चा भी तुम्हें सम्मान दें पायेगा ll

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