गुरुवार, 9 जुलाई 2015

दिशा

दिशा
रात गई दिन निकळा,
धरती पर आळोक हुआ I
हर ओर उजाला छाया है
पर अपना मन अलसाया है I
छत से नीचे देखा मैने
गाता वह मेरे बच्चे रात से भूखे I
कोई उनको भोजन दे दे
सुन कर मेरा मन भर आया I
दुःखि हुआ मन ,आँखोंसे आँसूबन कर
टपका दर्द पर क्या करें हम सब I
घर में मैंने देखा खाने का सामान बिखरा था
पर उसके घर में कुछ भी नहीं था I
काज ,मिश्री और मलाई
रोज.ही खाते हैं हम भाई I
पर उसके बच्चे भूखे हैं……रात से
अक्समात् मुझे हँसी आई I
रात से तो मैं भी भूखा हूँ
दिन निकले तब ही खाता हूँ I
मैंनें तब आवाज. दी उसको
मत माँगो भीख , मेरे भाई
जब चार पाँव मिलकर चलते हैं
मिलकर इक शक्ति बनते हैं I
काम कोई छोटा नहीं होता
मेहनत करो और जीओ भाई I
स्वाभिमान से जीना सीखो
सबसे उत्तम जीवन है मेरे भाई I
बस यही कमी है मेरे भाई
दिशा किसी ने नहीं बताई I

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