गुरुवार, 9 जुलाई 2015

Moments in Life without you

शून्य लोचन हो कर जब मैं सोचता हूँ कभी कभार
एक ही दृश्य उभर आता है हृदय मैं बार बार
न थी हमें और शायद न तुम्हे आस इस बात की
की होगी एक मुलाकात बस नाम मात्र की

झक झोर गए हो तोड़ गए हो हमको इस कदर
रहती नहीं खबर हमें अपने आप की
हो चले है बेसुध इस कदर याद मैं आपकी
कट रही है ज़िंदगी बगैर ज़ज़्बात के

पर गम न करना यह कह गए थे तुम
मिलंगे एक रोज वंहा पैर हम !!!!!!!!!!!!!!

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here Moments in Life without you

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें