hindi sahitya
रविवार, 28 जून 2015
चमचागीरी-105
हम चमचों के बराबर रुतबा या पैसा पा नहीं सकते हैं;
कियूं कि हम चमचागीरी के चने चबा नहीं सकते हैं.
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चमचागीरी-105
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