पैसे के क्या मोल है
पैसा तो अनमोल है
पैसे से घरबार है
पैसे से परिवार है
पैसे से ही मान है
पैसे का ही सम्मान है
पैसे में सबकी निष्ठा है
पैसे से ही प्रतिष्ठा है
पैसे से ही जिंदगी मीठे रस की घोल है ………
पैसा तो अनमोल है |
आ आज सबको तौलते है
कि किसका आचरण कैसा है
ईमान भी है यहाँ किसी का
या सबकुछ पैसा है |
पहली बारी यार कि
उसके बाद प्यार की
तीसरी बारी रिश्तो कि
फिर चाहे तो संसार कि
अगर जेब में पैसा है
तो यार पूछे कैसा है
अभी तक दोस्ती पे अड़े
जब जेब हुई खली तो भाग खड़े
प्यार का क्या कहना है
ये तो दिखावटी गहना है
पैसा है तो जीवनसाथी
नहीं है तो पास न आती
पैसे से ही इसके मुह में आते मीठे बोल है …………..
पैसा तो अनमोल है |
यार हो चाहे प्यार हो पैसा सबपे भारी है
देख लिया सबको मै अब रिश्तो कि बारी है |
” रिश्तो को तो बनने में नजाने कितने ज़माने लग गए
टूटने कि बस एक वजह थी हम पैसे कमाने लग गए ”
देखते है अब कौन यहाँ पे टिकता है
कि पैसे के आगे रिश्ता भी बिकता है |
यहाँ बीवी बिकी
यहाँ भाई बिका
यहाँ बेटी बिकी
यहाँ जमाई बिका
अब क्या कहूँ, क्या बचा है कि कहना है ,
पैसा है तो भैया है , पैसा है तो बहना है|
बचे है माँ बाप अभी
बाकि तो बिक गए सभी |
ये आखिरी दाव भी खेल लेता हूँ
और इनको भी पैसे में तौल लेता हूँ |
आँख में आंसू , लिए तराजू
खड़ा सर्वेश भिखारी है
एक पलड़े पे माँ बाप को
एक पे जहाँ कि दौलत सारी है
तौल रहा अश्रुमय आँखों से
ये भी क्या लाचारी है
पर छलक उठी प्रसन्नंता नैनो से
क्योकि माँ बाप का पलड़ा भारी है |
देख के इस दुनिया कि रंगत
बस यही मेरे बोल है ……………….
माँ बाप के आगे ही बस पैसा बिनमोल है
पैसा का यही मोल है |
सर्वेश सिंह
Read Complete Poem/Kavya Here पैसा तो अनमोल है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें