POEM NO. 35
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तोफे में क्या दु दादा जी
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हर ख़ुशी दी आप ने मुझे
हर दुःख से बचाया मुझे
आप के जन्मदिवस पर क्या तोफा दू
मुझे जो बनाने वाले हे उन्हें तोफे में क्या दू
रही आप से हमेशा जुदा
याद करती रही में सदा
दादा जी में आप को सत् सत् नमन करू
मुझे समझ नही आ रहा तोफे में क्या दू
बहुत याद करती हु दादा
बहुत चुप -चुप रोती हु दादा
भूली नही आप की वो बाते दादा
जो आप ने मुझे सिखाई थी दादा
जो हो इतने प्यारे दादा
उन्हें आज तोफे में क्या दू
जो मेरी किस्मत के सितारे हो
जो मेरे सपनो को पूरा करने वाले हो
उन्हें आज तोफे में क्या दू
जो मुझे पसंद था वो दादा जी आप ने मंगाया
जो मेने मांगा लिए आपने पापा को भी मनाया
दादा जी में तो अभी बच्ची हु
मुझे समझ नही आ रहा तोफे में क्या दू
दादा आप की गोदी में को मन करता है
दादा आप के पास रहने को मन करता है
दादा आप से आज फिर शरारत करने को मन करता है
दादा ! दादा में अभी बहुत छोटी हु
आप के जन्मदिन पर तोफे में क्या दू
दादा मेरे हाथ तो देखो कितने छोटे हे
इन छोटे हाथो से मेरे भगवान को तोफा केसे दू
दादा मन तो करता हे मेरा पूरा जीवन सोप दू
पुरे जहाँ की हर ख़ुशी लुटा दू
आज मेरी हर एक रचना आप के चरणों में समर्पित करू
अब आप ही बताओ जो खुद तोफा हो
उसे तोफे में क्या दू
जो लिखा अपने दिल से लिखा
आप के दिल को ठेस पहुचना मेरा इरादा न था
पसंद आये तो मेरा जीवन सफल
नही तो मेरा छोटा सा काम आज फिर विफल
मेरा छोटा सा तोफा कबूल करे दादा जी
आपका शुभचिंतक
लेखक – राठौड़ साब “वैराग्य”
(Facebook,Poem Ocean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction , You tube , Sound Cloud ,hindi sahitya,Poem Network)
समय 10:22 PM
दिनांक -Thu 24-01-2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Don’t Cry Feel More . . It’s Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂
तोफे में क्या दु दादा जी
हर ख़ुशी दी आप ने मुझे
हर दुःख से बचाया मुझे
आप के जन्मदिवस पर क्या तोफा दू
मुझे जो बनाने वाले हे उन्हें तोफे में क्या दू
रही आप से हमेशा जुदा
याद करती रही में सदा
दादा जी में आप को सत् सत् नमन करू
मुझे समझ नही आ रहा तोफे में क्या दू
बहुत याद करती हु दादा
बहुत चुप -चुप रोती हु दादा
भूली नही आप की वो बाते दादा
जो आप ने मुझे सिखाई थी दादा
जो हो इतने प्यारे दादा
उन्हें आज तोफे में क्या दू
जो मेरी किस्मत के सितारे हो
जो मेरे सपनो को पूरा करने वाले हो
उन्हें आज तोफे में क्या दू
जो मुझे पसंद था वो दादा जी आप ने मंगाया
जो मेने मांगा लिए आपने पापा को भी मनाया
दादा जी में तो अभी बच्ची हु
मुझे समझ नही आ रहा तोफे में क्या दू
दादा आप की गोदी में को मन करता है
दादा आप के पास रहने को मन करता है
दादा आप से आज फिर शरारत करने को मन करता है
दादा ! दादा में अभी बहुत छोटी हु
आप के जन्मदिन पर तोफे में क्या दू
दादा मेरे हाथ तो देखो कितने छोटे हे
इन छोटे हाथो से मेरे भगवान को तोफा केसे दू
दादा मन तो करता हे मेरा पूरा जीवन सोप दू
पुरे जहाँ की हर ख़ुशी लुटा दू
आज मेरी हर एक रचना आप के चरणों में समर्पित करू
अब आप ही बताओ जो खुद तोफा हो
उसे तोफे में क्या दू
जो लिखा अपने दिल से लिखा
आप के दिल को ठेस पहुचना मेरा इरादा न था
पसंद आये तो मेरा जीवन सफल
नही तो मेरा छोटा सा काम आज फिर विफल
मेरा छोटा सा तोफा कबूल करे दादा जी
आपका शुभचिंतक
लेखक – राठौड़ साब “वैराग्य”
(Facebook,Poem Ocean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction , You tube , Sound Cloud ,hindi sahitya,Poem Network)
समय 10:22 PM
दिनांक -Thu 24-01-2013
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