- हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
लफ्जो में बयान न हो,
कल जो गुजरी रात उनके साथ !!थी बाते करने को
बहुत गर मिल जाता दो पल का साथ !
मचलते रहे रात भर
न वो कुछ बोले न हम जागकर सारी रात !!होठो पे रख उस का नाम,
जागती आँखों से देखे सपने सारी रात !
आलम उधर भी कम न था ,
दोनों के अरमान सुलगते रहे एक साथ !!रात काली स्याह थी
फिर भी देखते रहे अँधेरे में सूरत एकदम साफ़ !
रात के सन्नाटे में,
साँसों की आवाज से धड़क उठे थे दिल एक साथ !!चाँद भी झाँक रहा था,
चोरी चोरी झरोखो के बीच से कल रात !
सितारे मुस्कुरा रहे थे,
देख हम दोनों की बेबसी पर कल की रात !!क्या बताऊ तुमको,
Read Complete Poem/Kavya Here कल की रात ........(2)
हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
लफ्जो में बयान न हो,
कल जो गुजरी रात उनके साथ !!
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