hindi sahitya
मंगलवार, 16 जून 2015
चमचागीरी-87
चमचों और शैतानों में एक समानता है;
दोनों उसको परेशान करते हैं जो उनकी बात नहीं मानता है.
Read Complete Poem/Kavya Here
चमचागीरी-87
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें