घुमड़ घुमड़ कर बादल उमड़े
बिजली ने भी चमक बिखराई,
अति तीव्र वेग से बहती वायु ,
झोंको संग आंधी ले अंगड़ाई
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(१)टप टप करती बूंदे गिरती,
सिरहन सी बदन में छाई,
नाचे मन मयूर ख़ुशी से,
रुत ने बदली अब अंगड़ाई,
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(२)सूर्य देव को बादलो ने घेरा,
तपती गर्मी से अब राहत पाई
बाल ग्वाल सब ख़ुशी से नाचे,
पानी में कागज़ की कश्ती चलाई
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(३)रिमझिम रिमझिम पानी बरसे
खेत खलिहानों में हरयाली छाई
किसान गुनगुनाता गीत खुशी के,
देखो वन में खग मृग भी हरषाई
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(४)सहरा में पीहू पीहू पपीहा बोले
अमवा पर कोयल ने कूक उठाई
शहर से बाबू जब गाँव को लौटे,
सावन में भीग भीग गोरी इतराई
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(५)ख़ुशी में झूला झूल रही बहना,
Read Complete Poem/Kavya Here इठलाती बरखा रानी आई......
मिलने जब आये बाबुल, भाई
शुरू हुआ अब मौसम त्योहारो का
हरयाली तीज ने ये अलख जगाई
जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(६)
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( डी. के. निवातियाँ )
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