रविवार, 3 जनवरी 2016

a heart touching sad poem by ALOK UPADHYAY

वो कल भी भूखा सोया था फुटपाथ में,
अचानक खूब पटाखे चले रात में.
झूमते चिल्लाते नाचते लोगों को देखा तो हर्षाया,
पास बैठी ठिठुरती मां के पास आया.
बता न माई क्या हुआ है क्या बात है,
मां बोली बेटा आज साल की आखरी रात है .
कल नया साल आएगा,
बेटा बोला मां क्या होता है नया साल,
अरे सो जा मेरे लाल…
मैं भीख मांगती हूँ तू हर रोज़ रोता है,
साल क्या हम जैसों की ज़िन्दगी में कुछ भी नया नहीं होता है…!!!
by
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