ये फूल गिरे हैं आंगन में
याद जो तेरी आई है
बरसे बादल बरसे रैना
इस चित में नहीं है चैना
गौरा बदन, काली जुल्फें
काली ये घटा छाई है
ये फूल गिरे हैं आंगन में
याद जो तेरी आई है
एक रस्ते मैं तेरे संग चला
तेरी बातों ने इक रंग भरा
वो कोयल वाणी तेरी
हर पंछी ने गाई है
ये फूल गिरे हैं आंगन में
याद जो तेरी आई है
वो हिरनी सा चलना तेरा
इस सूरज सा ढलना तेरा
क्या बात करूँ तेरे घूँघट की
पर्दे में चांदनी छुपाई है
ये फूल गिरे हैं आंगन में
याद जो तेरी आई है
आखों से देखो दिल ना लगा
फिर कहना मत कर गई ये दगा
ठोकर खा कर
खुद को पा कर
जानी इसकी गहराई है
ये फूल गिरे हैं आंगन में
याद जो तेरी आई है
by
Alok upadhyay
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