शनिवार, 2 जनवरी 2016

प्यार

इतना प्यार क्यूँ करते हो हमसे,जो मौन की भाषा भी समझ जाते हो
आँखों में पढ़ लेते हो मेरे दर्द को,कुछ कहने से पहले ही सुन लेते हो
दिल की कोई हसरत हो अधूरी,बिन कहे ही पूरी करने की ठान लेते हो
ये प्यार भी क्या अजीब दास्तां है,दूर कर देता है जिन्दगी का अधूरापन
दिल से दिल का रिश्ता क्या कहें,बहार ले आता है अगर कभी हो पतझड़
जिन्दगी जब भी आई ग़मों के पहाड़ तले,ख़ुशी की एक सुरंग बना दी तुमने
निकल आई उस सुरंग से मै,जगमगाता जहाँ हमेशा दिखाया तुमने
जीवन के रास्ते जब भी बोझिल हुए,अपनी बाँहों का सहारा दिया तुमने
हाथ पकड़कर चले हम साथ-साथ,कभी जिन्दगी को न थकने दिया हमने
बस एक ही गुजारिश है तुमसे,कभी मैं न रहूँ तो तन्हां न होना
न होकर भी रहूँगी तुम्हारे आस-पास,खुशबू को मेरी महसूस करते रहना |

_सन्ध्या गोलछा

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