सोमवार, 4 जनवरी 2016

थोड़ा कमतर थोड़ा बेहतर होता है - GAZAL SALIM RAZA REWA

थोड़ा कमतर थोड़ा बेहतर होता है 
लेकिन हर इन्सान बराबर होता है !

अपना बनकर जो भी  धोखा देता है 
बुज़दिल होता है वो कायर होता है !

शेर ग़ज़ल के सब मक़बूल नहीं होते 
जो होता है वो तो मुक़र्रर होता है !

जिसके दिल में दर्द नहीं अहसास नहीं 
फूल नहीं वो इंसा पत्थर होता है !

ज़र्रा अपनी मेह्नत और मशक्कत से 
एक दिन वो चमकीला गौहर होता है !

जिसके आगे सागर सहरा कुछ भी नहीं 
वो ही इक दिन मील का पत्थर होता है !

काम नहीं है तीरों का तलवारों का
प्यार तो एटम बम से बेहतर होता है !

GAZAL,BY SHAYAR SALIMRAZA REWA

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