थोड़ा कमतर थोड़ा बेहतर होता है
लेकिन हर इन्सान बराबर होता है !
अपना बनकर जो भी धोखा देता है
बुज़दिल होता है वो कायर होता है !
शेर ग़ज़ल के सब मक़बूल नहीं होते
जो होता है वो तो मुक़र्रर होता है !
जिसके दिल में दर्द नहीं अहसास नहीं
फूल नहीं वो इंसा पत्थर होता है !
ज़र्रा अपनी मेह्नत और मशक्कत से
एक दिन वो चमकीला गौहर होता है !
जिसके आगे सागर सहरा कुछ भी नहीं
वो ही इक दिन मील का पत्थर होता है !
काम नहीं है तीरों का तलवारों का
प्यार तो एटम बम से बेहतर होता है !
GAZAL,BY SHAYAR SALIMRAZA REWA
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