मंगलवार, 5 जनवरी 2016

क्यूँ  कहते हो कोई कमतर होता है - GAZAL SALIM RAZA REWA

Gazal
क्यूँ  कहते हो कोई कमतर होता है 
दुनिया  में  इन्सान बराबर होता है 

पाकीज़ा  जज़्बात  है  जिसके सीने में 
उसका  दिल  भरपूर मुनौअर होता है 

ज़ाहिद का क्या काम भला मैख़ाने में 
मैख़ाना तो  रिंदों  का घर  होता है 

जो  तारीकी  में  भी  रस्ता दिखलाए 
वो ही हमदम  वो ही रहबर  होता है

टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही 
अपना घर  तो अपना ही घर होता है

ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें 
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है

कैद  करो  न  इनको पिंजरों में कोई 
अम्न  का पंछी “रज़ा” कबूतर होता है

kiyun kahte ho koi kamtar hota hai

by shayar salimraza rewa 9981728122

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