कीर्ति मैं गाता रहूँ हनुमान की |
अंजनीसुत वीर वर बलवान की ||
कार्य करते केशरीसुत नित नये |
राम जी के दूत बन लंका गये ||
है परम पावन कथा भगवान की ||
वाटिका को कर दिया विध्वंश था |
रौद्र कपि से भीत निशिचरवंश था ||
देख बल हर्षित हुई थी जानकी ||
राम की निंदा करी दसशीश नें |
लंक धू धू कर जलाई कीश नें ||
शक्ति दिखला दी शिवम् प्रतिमान की ||
बच गए संजीवनी पीकर लषण |
युद्ध जीते राम जी सीता रमण ||
है बड़ी महिमा कपीश्वर ध्यान की ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
9412224548
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