एक दिन देश विकास की दौड से निकल जायेगा, बचा लीजिए इस देश को वर्ना बन कर रेत मुट्ठी से फिसल जायेगा, देश की मिट्टी आवाज दे रही, तुम्हारे जुनून को, बिना दुनिया को रोशनी दिये ही, बनकर मोम खुद की गर्मी से पिघल जायेगा।
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