पिरामिड। वक्त की चाल
है
रिश्ता
शरीर
संवाहक
और प्राण का
जन अधिकार
सृष्टि का उपहार
ये
नाँव
शरीर
भौतिकता
सागर मध्य
नाविक है कर्म
निश्चित दूरी धर्म
तो
कल
जीवन
ढलेगा ही
वक्त की चाल
कर्त्तव्यों के प्रति
रहो दृढ़ संचेत
@राम केश मिश्र
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