मै भ्रुड
अविरल विकल मन विश्मित भरा ,
मै भ्रुड गर्भ फान्स में पडा !
धबक धबक हीये नाद स्वयम का,
था कर्ण पट मेरे पडा !!
अविरल विकल मन विश्मित भरा ,
मै भ्रुड गर्भ फान्स में पडा !
संक्षिप्त जीवन मात्र मेरा,
नीज स्वान्स से उलझ रहा!!
नाजाने कोन सा वो पल होगा,
जब मै काल कोठ छोडुगा!!
अविरल विकल मन विश्मित भरा,
मै भ्रुड गर्भ फान्स में पडा!!
लेखक
कमलेश राजपुत “कमल “
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