उम्रभर उनके आँखोँ के हम सरताज होते हैँ, हमारी ऊँचाइयोँ के आधार माँ-बाप होते हैँ, मिटा खुद को अपना भी वजूद दे दिया फिर क्योँ, वही बुढापे मेँ हमारे सहारे के मोहताज होते हैँ।
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