सिर्फ सच है तेरा प्यार,
तू भी झूठा है और
अफ़साने भी झूठे है,
सिर्फ सच है तेरा प्यार
हुआ है कब लफ़्ज़ों में मुमकिन
रूहों का इज़हार ,,,,,,,,
सिर्फ सच है तेरा प्यार ।
दिल मेरा
सुन लेता है सब,
बोल न पाते
जो तेरे लब,
तेरे दिल से
मेरे दिल तक जुड़े है तार,बेतार ,,,,,,
सिर्फ सच है तेरा प्यार ।
झूठे नहीं है
नज़रों में सपने
अक्स हैं एक -दूजे
में अपने,
सपनों की जमीं पर अपने
रचते सारा संसार ,,,,,
सिर्फ सच है तेरा प्यार ।
नहीं शिकायत
तुझसे कोई ,
नहीं बनावट
मुझमें कोई,
तू जिस रंग में
रंगे मुझको
उन रंगो से मुझको प्यार,,,,,
सिर्फ सच है तेरा प्यार ।
तेरा साथ मेरी जीस्त
का हासिल,
तू मुझमें
मैं तुझमें शामिल
कसमें -वादों से
बढ़कर है
तेरा – मेरा इकरार ,,,,,,,
सिर्फ सच है तेरा प्यार ।
सीमा “अपराजिता “
Read Complete Poem/Kavya Here सिर्फ सच है तेरा प्यार,,,,,,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें