वर्ण पिरामिड क्या है?
वर्ण पिरामिड हिंदी साहित्य में एक नया छंद विधान है ।इसके जनक ‘सुरेश पाल वर्मा ‘जसाला’ जी है ।
यह हाइकू विधा की तरह विषम चरणों वाला एक वर्णिक छंद है । इस छंद में सात चरण है ।इसके प्रथम चरण में एक वर्ण ,दूसरे में दो वर्ण ,तीसरे में तीन…….क्रमशः सातवे में साथ वर्ण होते है । जबकि आधे वर्ण नही गिने जाते है । किन्ही दो पदों में तुकांत आने पर रचना सुंदर बन जाती हैं ।
इस विधा में कम शब्दों ही पूरा भाव कहना होता है।अर्थात ‘गागर में सागर’
जैसे–
पिरामिड।देव वन्दना।
1-
हे
देव
दयालु
दयाकर
सद्भावना
भर दे क्लेश में
स्नेह फैले देश में
2-
दे
ईश
प्रेरणा
प्रगाढ़ता
भक्ति प्रवाह
सम्बन्धो में आह
विवेक को सन्मार्ग
3-
दो
ज्ञान
अज्ञान
मिटाकर
समभावना
समृद्धि सत्कर्म
पल्लवित हो धर्म
4-
तू
प्राण
प्रेरित
प्रखरता
उदीप्त दीप
भर हृदय में
निलय का शीप
5-
हूँ
भृत्य
सेवक
अनुचर
हो दया वृष्टि
स्नेह भर मात्र
निर्मम कृपापात्र
@राम केश मिश्र
सुल्तानपुर यू .पी
varnpiramid.blogspot.com
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