बस एक अभिलाषा … कविता
जन-जन के ह्रदय को देश-प्रेम जगा दो ,
भगवान् मेरे भारत की तकदीर संवार दो ,
हर युग में आये तुम लेकर भिन्न अवतार ,
हर बार दिया इसे दुःख -क्लेशों से तार ,
इस युग में आकर भी इसकी बिगड़ी बना दो .
भगवन मेरे ………
विरोधियों,दुश्मनों और गद्दारों की भीड़ बड़ी है भारी ,
सुरसा बनकर हर समस्या लग रही है बड़ी भारी .
अपनी अद्वितीय शक्ति से इनको परास्त कर दो .
भगवान् मेरे ……….
तुम्हारी भक्ति के सामान अमूल्य है राष्ट्र -भक्ति ,
प्रत्येक भारत वासी के लिए आवश्यक है देश-भक्ति ,
इस भावना का संचार रक्त की भांति इनमें कर दो .
भगवान् मेरे ……..
जाति – धर्म -रंग -क्षेत्र -भाषा भेद को सब भूल जाएँ ,
मिलकर रहे प्यार से ,परस्पर बैर -भाव सब भूल जाएँ ,
हम सब हैं एक परिवार ,यह सभी को समझा दो .
भगवान् मेरे ……..
महान स्वतंत्रता -सेनानीयों व् महा पुरुषों की कुर्बानी ,
अमल करें सैदेव अपने संत-महात्माओं की अमर-वाणी ,
इनके प्रति श्रद्धा ,सम्मान हर दिल में जगा दो .
भगवान् मेरे ………
हम भारतीओं की एकता ही इसकी आखंडता है ,
हमारा परस्पर प्रेम व् भाईचारा ही इसकी ताकत है.
मेरे देशवासी भाई-बहनों को मिलकर रहना सिखा दो .
भगवान् मेरे ……..
सुनते आये है अपने पूर्वजों से , देश तभी संपन्न होता है,
जब देश में शांति , सदाचार , अनुशासन का पालन होता है,
मेरे देश को भी सुखी और -समृद्ध बना दो .
भगवान् मेरे ……..
हमें देश को चहुँमुखी विकास पथ पर तो है चलाना ,
मगर प्राकृतिक संसाधनों को भी है संजो कर रखना ,
प्रकृति और विकास के मध्य सामजस्य बिठाना सिखा दो .
भगवान मेरे ………
मेरे देश की भलाई ही है मात्र मेरे जीवन की अभिलाषा ,
बड़े ही दीन-हीन होकर व्यथित होकर लगायी है आशा ,
अब देर ना करो , इसकी कठिनाईयों का जल्द उपचार कर दो ,
भगवान् मेरे …….
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें