“बाबुजी…..
है अस्तित्व मेरा उनसे
उनसे ही मेरी पहचान है,
नाम रखा “इंदर” मेरा
भोले नाथ जिनका नाम है,
करके हमें अनाथ
वो नाथ चले गये,
अपनी यादों को करके
साथ वो नाथ चले गये,
साया नहीं है सर पे
जैसे उजड़ा सा चमन हो,
सूरज के बिना जैसे
अंधेरे मे डूबा वतन हो,
ज़िंदा रहोगे आप
अपनी निशानियों मे,
नाम आपका ही होगा
मेरी हर कहानियों मे…!!
……..इंदर भोले नाथ………
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