“क्या खूब आज
गद्दारी दिखती है
खून में यहाँ |
अपने लोग
है लुटते अश्मत
माँ बहनों की |
मूक दर्शक
बन जाते है हम
सुनते गाली |
देशद्रोह को
धड़कता है दिल
अपने लोग |
नामर्द यहाँ
हुआ है संविधान
पहने चूड़ी |
टुकड़े होगा
फिर भारत जल्द
मनाओ ख़ुशी |
हो बेइज्जत
सहता देशद्रोह
अँधा कानून ||”
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