ये नयन तेरे विशाल,
कुदरत का ही है कमाल,
ये अधरों से बहते बोल,
जैसे मदिरा के प्याले अनमोल |
रूप जो तुमने पाया है,
उपरवाले की ही माया है,
धरा पे जैसे,
खुद चाँद उत्तर आया है |
कंचन सी तुम्हारी काया,
समाई जिसमे अनेकों माया,
रहे होश मे कोई कैसे,
पड़ जाये जिसपर,
तुम्हारी छाया |
हिरणी से तुम्हारी चाल,
लहराते हुए ये रेशमी बाल,
अन्गों से बहता योवन,
अधीर करे रह रह कर मेरा मन |
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