-: कहाँ हो तुम ? :-
एहसास हर पल मुझे तुम्हारा है।
मेरी सांसों पर बस नाम तुम्हारा है।।
प्यासे है नयन, दीदार को तेरे,
कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम ?
आ जाओ लौटकर,जहाँ हो तुम ।।
खामोशियां मेरे दिल की ,
अब शोर मचाती है।
हर तरफ ,हर अक्ष में,
तस्वीर तेरी नज़र आती है।।
खुशबू बनकर तुम ,
मुझमें समाए रहते हो।
ना जाने कौन-सी है वो दुनिया,
जहाँ तुम रहते हो ।।
दिल तड़पकर अब कहने लगा ,
कहाँ हो तुम ? कहाँ हो तुम?
आ जाओ लौटकर, जहाँ हो तुम ।।
ए हवा ! तू लेकर उनको,
मेरे पास आती क्यों नहीं।
मेरी आँखों से बरसता है जो सावन,
वो उन आँखों से बरसता क्यों नहीं ।।
क्यों ये सर्द ठंडी हवाएं,
आकर मुझे तड़पती है।
पतझड़ की तरह बहारे सभी,
मुझसे रूठ कर चली क्यों जाती है।
सूखता आँखों का दरिया कहने लगा
कहाँ हो तुम? कहाँ हो तुम?
आ जाओ लौटकर, जहाँ हो तुम ।।
( लेखक :- सोनू सहगम )
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