तुमबिन ज़िंदगी का हर ख्वाब अधूरा है |
दुनिया में एक तू ही सहारा है |
ऐ सितमगर , तू न कर इतना सितम,
तड़पते दिल ने तुम्हें पल-पल पुकारा है |
जी सके न मर सके तुमसे बिछड़ के ,
तेरी तस्वीर देख-देख हर रात गुजारा है|
खुदा जाने क्या बात है आज भी ,
तुमसे मिलने का ईरादा क्यों हमारा है |
जाने क्यों समझने लगे है लोग मुझे पागल ,
और कहने लगे है तू आशिक आवारा है |
dushyant kumar patel
Read Complete Poem/Kavya Here ऐ सितमगर ||ग़ज़ल||
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