अंधेरी रात में पूरे चाँद से तुम
ठिठुरती रात में मधम आग से तुम
अधजगी रात में पूरे नींद से तुम
घुप अंधेरे में एक चिराग से तुम
बन्द घर में खुल जाते खिड़की से तुम
ज्यादा मेरे लिए थोड़े अपने लिए तुम
नितान्त तन्हा मन में गुलजार से तुम
सविता वर्मा
Read Complete Poem/Kavya Here गुलजार से तुम
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