इस घर के निर्वाह के कारण………..
आओ करें हम दोनों , मिलकर काम !!
परेशानियों के बोझ तले दबे इस जीवन का……
आओ करें हम दोनों मिलकर के निर्माण !!
आओ इस जीवन की मजबूत बनाये नींव………
मैं बन जाऊं इज़्ज़त तुम्हारी , तुम बनो मेरा सम्मान !!
खर्च है इस घर में हर वक़्त देखो कितने……….
बच्चे , पढाई , परिवार और अथिति का सम्मान !!
आओ मिलकर के बाटें थोड़ा-थोड़ा बोझ………
इस जीवन पथ पर हम दोनों है एक समान !!
भाग दौड़ भरी इस दुनिया में , तुम अकेले क्यों हो परेशान….
उम्र पड़ी है ! सारी हम भी कर लेंगे कभी आराम !!
पढ़ा लिखा मैने भी बोलो तो किस काम का……….
नहीं चाहिए मुझे ऐसा जीवन, जो खत्म हो बिन पहचान का !!
चलो मेरे हाथो में दो , अब ये घर निर्वाह की डोर…….
और तुम थामे रखना देखो , भविष्य पूर्ति की ये कमान !!
रचनाकार : निर्मला ( नैना )
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