पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
जिनके बच्चे घरो में भूखे बैठे हो
उनको फुर्सत कहाँ अधिकारों की
घर से निकला है मज़बूरी उनकी
भेट चढ़ते वो ऐसे गुनहगारो की
इसका अब इलाज़ होना चाहिये !!
पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
दो घूँट मय,चंद पैसो की खातिर
नेताओ के जाल में फंस जाते है
लेकर सहारा अपने अधिकारों का
आतंक का खुला तांडव रचाते है
उनपे अब शिकंजा कसना चाहिये !!
पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
कही किसी का जब कोई अपना
जंग जिंदगी से लड़ रहा होता है
राह में अटका वो सांसे गिनता
ऐसे दबंगइयो का शिकार होता है
एक पल उनके बारे में सोचना चाहिए !!
पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
मांग के नाम पर करे मौज मस्ती
कैसा अनूठा ये चलन चल पड़ा हैं
अपने घर दुकानो को जलते देख
इंसान मूरत बन बेबस बना खड़ा है
ऐसे हालातो पर शिकंजा कसना चाहिए !!
पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
ईश्वर न करे किसी के भी जीवन में
सूना रह जाए मंडप ऐसी मनहूस घडी आये
क्या गुजरती है एक बेटी के बाप पर
जब मध्य राह से वर की बरात लौट जाये
ऐसी जाहिलियत पे शर्म आनी चाहिये !!
पेट जिनके भरे हुए, घर कुबेर से भरे हुए,ऐसे लोगो को बवाल का बहाना चाहिये !
क्या लेना देना उन्हें किसी की बेबसी से, उन्हें तो परेशान करने का बहाना चाहिये !!
!
!
!
[[___डी. के. निवातियां __]]
Read Complete Poem/Kavya Here शर्म आनी चाहिये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें