गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

"छठ आइल"

छठ मइया आइल बाड़ी चौका चंदन सजाईला,
चढ़ाईला फल फूलवा दौरी बहँगी लचकतजाला|
अपने द्वारे गंगाजी राउरे बोलावेली गीतिया गाके ,
मनौती मनाइला हो सूरज के रथवा बोलायला |
छठ माँ अरघिया चढ़ाईला हो जीवन संवारीला,
हमहूँ के कछारन बुलाईला माई दर्शन दिखाइदा ||

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here "छठ आइल"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें