मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

मैं कौन हूँ,,,,,

मैं कौन हूँ तुझसे मैं ये कहूँ
साथ तेरे सदा हर जगह मैं रहूँ
गर कुहासा हो तेरे चारों तरफ
बन किरन रौशनी की
तेरे संग मैं चलूँ
मैं कौन हूँ ,,,,,

गर निराशा तुझे रोक ले राह में
दीप आशा का बन
पथ मैं रोशन करूँ
मैं कौन हूँ,,,,,

चलते-चलते जो तेरे कदम थक गये
बाँहों को थाम तेरी
हमसफ़र मैं बनूँ
मैं कौन हूँ,,,,,,

मंद हो जब गति तेरी साँसों की
धड़कन बन मैं तेरी
तुझमें धड़का करूँ
मैं कौन हूँ ,,,,,,

जीवन के इस सफ़र में मैं रहूँ न रहूँ
ऱूह बन मैं तेरी
तुझमें जीवित रहूँ
मैं कौन हूँ तुझसे मैं ये कहूँ
साथ तेरे सदा हर जगह मैं रहूँ,,,,,!!!

सीमा “अपराजिता”

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