!! ग़ज़ल !! GAZAL
मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए
ग़ैर से क्या हो गिला अपने बेगाने हो गए
चंद दिन के फ़ासले के बाद हम जब भी मिले
यूँ लगा जैसे मिले हम को ज़माने हो गए
पतझड़ों के साथ मेरे दिन गुज़रते थे अभी
आप के आने से मेरे दिन सुहाने हो गए
मुस्कराहट उनकी कैसे भूल पाउँगा कभी
इक नज़र देखा जिन्हें औ हम दिवाने हो गए
आँख, में, शर्मों, हया, पवंदियाँ, रूश्वाईयां
उनके न आने के ये अच्छे बहाने हो गए
अब भी है रग रग में क़ायम प्यार की ख़ुश्बू “रज़ा ”
क्या हुआ जो ज़िस्म के कपड़े पुराने हो गए
SALIMRAZA REWA 9981728122
शायर सलीम रज़ा रीवा (म. प्र. )
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